भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम क्या है | Old Name Of RBI

नमस्कार दोस्तों RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक जो भारत की करेंसी नोट छापता है जिसे बैंकों का बैंक भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि RBI की स्थापना कब हुई थी और भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम क्या है। 

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम, इसकी स्थापना और कार्य के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है। अधिकतर लोगों को भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम और RBI का इतिहास के बारें ने नही पता होगा तो उन्हे चिंता करने करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इन सभी सवालों का जवाब लेख में बताया गया है। 

Old Name Of RBI

तो आइए सबसे पहले भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम के बारे में चर्चा कर लेते है। 

भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम क्या था? 

भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम Reserve Bank Of India था। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक का कोई पुराना नाम नहीं है जब से यह बैंक अस्तित्व में आया है उसी समय से इसे भारतीय रिजर्व बैंक या रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। हालांकि इस बैंक की स्थापना ब्रिटिश राज्य में किया गया था और इसका शुरुआती नियंत्रण भी ब्रिटिश शासक के हाथों में था तब भी इस बैंक को Reserve Bank Of India ही कहा जाता था। राष्ट्रीयकरण के बाद भी भारत की सरकार ने इस बैंक के नाम में कोई बदलाव नहीं किया है। 

लेकिन अगर आप यूट्यूब और गूगल पर भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम सर्च करेंगे तो कई वीडियो और वेबसाइट में भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम: The Imperial Bank Of India बताया जायेगा जो बिलकुल गलत जवाब है। The Imperial Bank Of India की बात करें तो यह भारतीय स्टेट बैंक यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का पुराना नाम था। 30 अप्रैल 1955 को द इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) कर दिया गया था। अब आपको सच्चाई का पता तो चल ही गया होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक का कोई पुराना नाम नहीं था। 

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी? 

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को ब्रिटिश राज्य में Reserve Bank Of India Act, 1934 के अंतर्गत  किया गया था। इस बैंक की स्थापना Hilton Young Commission के अनुशंसा पर हुआ था जिसे Royal Commission On Indian Currency & Finance के नाम से भी जाना जाता था। इस बैंक का राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 को किया गया था जिसके बाद RBI का संपूर्ण नियंत्रण भारत सरकार के हाथों में आया था। 

शुरुआत में इस बैंक का केन्द्रीय मुख्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे सन 1937 में मुंबई शिफ्ट किया गया। केंद्रीय मुख्यालय में RBI के गवर्नर बैठते हैं जहां से आर्थिक नीतियां तैयार किया जाता है। वर्तमान समय में RBI के 31 कार्यालय अलग अलग राज्य में स्थित है। इस बैंक को भारत में Economy System को मजबूत करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। क्योंकि इस बैंक के स्थापना से पहले भारत की आर्थिक स्थिति पहले विश्वयुद्ध के कारण बेहद खराब हो गया था। 

भारतीय रिजर्व बैंक कैसे कार्य करता है? 

जैसा कि हमने पहले ही बताएं है कि भारतीय रिजर्व बैंक Indian Economy System को मजबूत बनाने के लिए आर्थिक नीतियां का निमार्ण करता है। जिसे Central Board Of Director नियंत्रित करता है। 

RBI का Central Board Of Director क्या होता है? 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के द्वारा RBI को Control किया जाता है जिनमें कुल 21 सदस्य होते हैं जिसका कार्यकाल 4 वर्ष का होता है। इस बोर्ड में 1 गवर्नर होते है जो सभी 21 सदस्यों का प्रमुख होते है इसके अलावा 4 उप गर्वनर (Deputy Governor), भारतीय वित मंत्री के 2 प्रतिनिधि, 4 Director ( जो मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई स्थित मुख्यालय Represent करते है) तथा केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 10 सदस्य मौजूद होते है। 

RBI के कार्य 

वर्तमान में RBI को भारत के सभी बैंको का मालिक कहा जाता है। जो कई तरह के कार्य करते है जो इस प्रकार है: 

करेंसी नोट छापना – भारत में जारी सभी करेंसी नोट (1 रुपए की नोट छोड़कर) की छपाई RBI के द्वारा किया जाता है। नोट की छपाई न्यूनतम रिजर्व प्रणाली के अंतर्गत किया जाता है। आपको बताते चले कि RBI सिक्के और 1 रुपए का नोट नही छापता है इसे भारतीय वित मंत्रालय के द्वारा जारी किया जाता है। 

सरकारी बैंकर, एजेंट और सलाहकार – सरकार के विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं की आय को जमा करना और एक विभाग से दूसरे विभाग में आय को स्थानांतरित करना होता है। एजेंट के रूप में सरकार द्वारा दिए जाने वाले सार्वजनिक लोन का भुगतान प्राप्त करता है। जबकि सलाहकार के रूप में सरकार को मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था संबंधित नीति निर्धारण करने का सलाह देता है। 

बैंकों का बैंक एवं पर्यवेक्षक – RBI सभी बैंकों के लिए उसी प्रकार काम करता है जैसे हमारे लिए बैंक कार्य करते हैं। इसके अलावा भारत मैं बैंक खोलने के लिए लाइसेंस निर्गत करना और बैंको के लिए नियम एवं शर्तें बनाना और देखभाल करना होता है। 

ऋण दाता – भारतीय रिजर्व बैंक भारत में मौजूद सभी बैंकों को विशेष परिस्थिति में ऋण (लोन) प्रदान करता है। बैंकों के अलावा संकटकाल में RBI भारत सरकार को भी ऋण (लोन) प्रदान करता है। 

विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण – भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडारण का संरक्षण करती है यानी विदेशी मुद्रा भंडार को खरीदने और बेचने का काम करती है। 

बैंको का निगरानी – भारतीय रिजर्व बैंक सभी बैंकों का हिसाब किताब रखते हुए उसे निगरानी करता है। 

साख नियत्रण – भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए साख या मुद्रा की पूर्ति पर नियंत्रण करता है 

भारतीय रिजर्व बैंक से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न- RBI का पुराना नाम क्या था?

उत्तर: RBI का कोई पुराना नाम नहीं था। शुरुआत से ही इसे भारतीय रिजर्व बैंक कहा जाता आ रहा है। 

प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी?

उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुआ था।

प्रश्न – भारतीय रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर कौन थे?

उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर ओसबोर्न स्मिथ थे।

प्रश्न – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI के गवर्नर की नियुक्ति केंद्र सरकार के द्वारा किया जाता है। 

प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था?

उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 को हुआ था? 

प्रश्न – RBI के गवर्नर का कार्यकाल कितना होता है?

उत्तर: RBI के गवर्नर का कार्यकाल 4 वर्ष का होती है अगर केंद्र सरकार चाहे तो उनके कार्यकाल को बढ़ा भी सकता है।

प्रश्न- वर्तमान समय 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर कौन है?

उत्तर: वर्ष 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास है जिनका कार्यकाल बढ़ाया गया है।

निष्कर्ष :-

हम आशा करते हैं कि आपको “भारतीय रिजर्व बैंक का पुराना नाम और RBI की स्थापना” से सम्बंधित जानकारी लाभदायक लगी होंगी। इस लेख के माध्यम से हमने आपके द्वारा पूछे जाने वाले सभी सवालो के जवाब देने की कोशिश की है। अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट है तो अपने दोस्तो के साथ इसे शेयर जरूर करें।

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